मांग की लोच

Online Mock Tests for Class 9  Social Science                                                                                                                                                   

मांगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन और कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के बीच पाए जाने वाले अनुपातिक सम्बंध को मांग की कीमत लोच कहते है। इससे यह स्पष्ट  होता है कि कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप मांगी गई मात्रा में कितना परिवर्तन होता है।

प्रतिशत विधि या अनुपातिक विधि :- इसके लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है।

 

Ed = \frac{% Change in Quantity Demanded}{%Change in Price} X 100 = \frac{\Delta Q}{\Delta P} X \frac{P}{Q}

 

 

 

 

% Change in Quantity demanded =मांगी गई मात्रा में प्रतिशत  परिवर्तन

%change in Price = कीमत में प्रतिशत परिवर्तन

ΔQ मात्रा में परिवर्तन
ΔP – कीमत में परिवर्तन
P – प्रारंभिक कीमत
Q – प्रारंभिक मात्रा

उदाहरण के लिए : यदि मांग की कीमत लोच (-) 2 है, तो इसका मतलब है कि कीमत में एक प्रतिशत की गिरावट से मांग में 2 प्रतिशत की वृद्धि होती है या कीमत में एक प्रतिशत की वृद्धि से मांग में 2 प्रतिशत की गिरावट आती है।

कीमत में परिवर्तन और मांग की मात्रा में परिवर्तन के बीच विपरीत  संबंध होने के कारण मांग की कीमत लोच (Ed) का मूल्य हमेशा नकारात्मक होता है।

कीमत लोच के प्रकार:-

1 .इकाई के बराबर लोचदार मांगः-

‘‘अन्य बाते समान रहने पर‘‘ जब किसी वस्तु की मांगी गई मात्रा में प्रतिशत  परिवर्तन कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के बराबर होता हेै तो उसे इकाई के बराबर लोचदार मांग कहते है।

रेखाचित्र  द्वारा स्पष्टीकरण 

 

 

 

2 इकाई से कम लोचदार मांगः- 

‘‘अन्य बाते समान रहने पर‘‘ जब किसी वस्तु की मांगी गई मात्रा में प्रतिशत  परिवर्तन कीमत में प्रतिशत  परिवर्तन से कम होता हेै तो उसे इकाई से कम लोचदार मांग कहते है।

रेखाचित्र तथा तालिका द्वारा स्पष्टीकरण

 

3 इकाई से अधिक लोचदार मांगः- 

‘‘अन्य बाते समान रहने पर‘‘ जब किसी वस्तु की मांगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन कीमत में प्रतिशत परिवर्तन की तुलना में अधिक होता है तो उसे इकाई से अधिक लोचदार मांग कहते है।

 

रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण

 

 

 

4 पूर्णतः लोचदार मांगः-

‘‘अन्य बाते समान रहने पर‘‘ जब किसी वस्तु की कीमत में कोई परिवर्तन नही होता या सूक्ष्म परिवर्तन होता है लेकिन उस वस्तु की मांगी गई मात्रा बहुत अधिक परिवर्तित हो जाए या घटकर शून्य हो जाती है तो इसे पूर्णतः लोचदार मांग कहते है। इसे वास्तविक जीवन मे अनुभव नही किया जा सकता, यह कल्पना मात्र है। इस स्थिति में मांग वक्र X.अक्ष के समान्तर होता है।

रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण

 

 

5 पूर्णतः बेलोचदार मांग:-

‘‘अन्य बाते समान रहने पर‘‘ जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप मांगी गई मात्रा में कोई परिवर्तन नही होता है तो उसे पूर्णतः बेलोचदार मांग कहते है। इसमे मांग वक्र Y-अक्ष के समान्तर होता है। जैसे- नमक की मांग।

रेखाचित्र  द्वारा स्पष्टीकरण

 

 

 

 

प्रश्न :-पूर्णतः बेलोचदार मांग?

उत्तरः- मांग की कीमत लोच को निर्धारित करने वाले मुख्य कारक निम्नलिखित हैः-

1 वस्तु की प्रकृति:- यदि वस्तु अनिवार्य प्रकृति की है तो ऐसी वस्तु की मांग बेलोचदार होगी। जैसे नमक, मिट्टी का तेल, माचिस, पाठ्य पुस्तके आदि। इसके अलावा यदि वस्तुएं विलासिता की है तो उनकी मांग लोचदार होगी जैसे- ए॰सी॰, कीमती फर्नीचर आदि।

2 स्थानापन्न वस्तु की उपलब्धि:- जिन वस्तुओ की स्थानापन्न वस्तुएं बाजार में उपलब्ध होती है उन वस्तुओ की मांग लोचदार होती है। इसके अलावा जिन वस्तुओ की स्थानापन्न वस्तुएं बाजार में उपलब्ध नही होती उन वस्तुओ की मांग बेलोचदार होती है जैसे- सिगरेट और शराब

3 वस्तु के विभिन्न प्रयोग:- जिन वस्तुओ के विभिन्न प्रयोग सम्भव होते है उन वस्तुओ की मांग लोचदार होती है। जैसे- बिजली का प्रयोग लाइट जलाने के लिए, प्रेस करने के लिए,टी0वी0 आदि के लिए किया जाता है लेकिन यदि इसकी कीमत बढ़ जाए तो उसका प्रयोग केवल अनिवार्य कार्य में किया जाएगा। इसके विपरीत जिन वस्तुओ के विभिन्न प्रयोग कम होते है। उनकी मांग बेलोचदार होती है जैसे- कागज

4 उपभोग स्थगन:- जिन वस्तुओ के उपभोग को आने वाले भविष्य  के लिए टाला (स्थगित) जा सकता है उनकी मांग अधिक लोचदार होती है।

उदाहरण:- यदि मकान बनाने की मांग को आने वाले भविष्य  के लिए स्थगित किया जा सकता है तो रेत, सीमेंट, ईंट आदि की मांग लोचदार होगी। लेकिन यदि वस्तु के प्रयोग को आने वाले भविष्य  के लिए स्थगित नही किया जा सकता उनकी मांग बेलोदार होती है।

5 किसी वस्तु पर खर्च किया जाने वाला आय का अनुपात:- जिन वस्तुओ पर उपभोक्ता अपनी आय का सूक्ष्म भाग खर्च करता है उनकी मांग बेलोचदार होती है जैसे- अखबार, सूई, आदि। इसके विपरीत जिन वस्तुओ पर वह अपनी आय का अधिक भाग खर्च करता है उनकी मांग लोचदार होती है। जैसे- टी॰वी॰, ए॰सी॰ आदि।

 

6 उपभोक्ता की आदत:- लोगों को जिन वस्तुओ की आदत पड़ जाती है जैसे- पान, सिगरेट, चाय आदि। उनकी मांग बेलोचदार होती है क्योकि उपभोक्ता इन वस्तुओ के प्रयोग के बिना नही रह सकता।

7  आय का स्तर: आय का स्तर जितना अधिक होगा, किसी भी वस्तु की मांग उतनी ही अधिक होगी। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अमीर लोग माल की कीमत में बदलाव से ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैं। लेकिन कम आय वाले गरीब लोग वस्तुओं की कीमत में बदलाव से अत्यधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि यह उनके बजट को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। नतीजतन, निम्न आय वर्ग की मांग अत्यधिक लोचदार है।

8 समय अवधि: समय अवधि जितनी अधिक होगी, मांग की कीमत लोच उतनी ही अधिक होगी।

समय अवधि कम होने पर मांग आमतौर पर बेलोचदार होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उपभोक्ताओं को दी गई वस्तु की कीमत में बदलाव होने पर इतनी छोटी अवधि में अपनी आदतों को बदलना मुश्किल होता है।
हालांकि, लंबे समय में मांग अधिक लोचदार होती है क्योंकि दी गई वस्तु की कीमत बढ़ने पर अन्य विकल्पों में स्थानांतरित करना तुलनात्मक रूप से आसान होता है।

 

पुनर्कथन :-

किसी वस्तु की मांग की कीमत लोच को उसकी कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से विभाजित वस्तु की मांग की मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया जाता है। मांग की लोच एक शुद्ध संख्या है।

मांग की कीमत लोच को प्रभावित करने वाले कारक

(a) वस्तु की प्रकृति (b) स्थानापन्न वस्तु की उपलब्धि  (c) आय  का स्तर (d) उपभोक्ताओं की संख्या

(e) एक वस्तु पर खर्च की गई आय का अनुपात (f) समय अवधि (g) उपभोक्ता की आदत

 

 

 

 

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