जब राष्ट्रीय आय की गणना आय विधि से की जाती है तो उसका एक भाग का कर्मचारियों पारिश्रमिक होता है इस विधि में उत्पादन के सभी साधनो (श्रम पूँजी भूमि उद्यमी ) को उनकी सेवाओं के बदले में जो प्रतिफल (ईनाम ) प्राप्त होता है उन्हें जोड़कर ही देश की घरेलू आय प्राप्त की जाती है ये सेवाए इनके द्वारा एक लेखा वर्ष में प्रदान गई हो
साधारण भाषा में , एक लेखा वर्ष में देश के सामान्य निवासियों की साधन आय का जोड़ राष्ट्रीय आय होती है जो उन्हें किराया ,ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होती है
कर्मचारियों का पारिश्रमिक :- श्रम (Labour) साधन को उनकी सेवाओं के बदले में जो प्रतिफल प्राप्त होता है उसे कर्मचारियों का पारिश्रमिक प्रतिफल (Reward) कहते हैं इसके अंतर्गत निम्नलिखित को शामिल किया जाता है
- नकद मजदूरी और वेतन :- इसके अंतर्गत श्रमिकों को प्राप्त होने वाली मौद्रिक आए को शामिल किया जाता है जो लोग शारीरिक श्रम करते हैं उन्हें मजदूरी और मानसिक श्रम करने वालों को वेतन प्राप्त होता है
- किस्म (वस्तु व सेवाओं ) के रूप में भुगतान :- इसकी अंतर्गत उन समस्त सुविधाओं के मूल्य को शामिल किया जाता है जो नियोजको (मालिकों) द्वारा कर्मचारियों को मुफ्त में प्रदान किया जाता है जैसे श्रम साधन को मुफ्त रहने के लिए मकान मुक्त यूनिफार्म मुफ्त बिजली मुफ्त चिकित्सा और भ्रमण के लिए सुविधाएं आदि
- मालिकों(नियोक्ता) द्वारा सामाजिक सुरक्षा में अंशदान :- इसके अंतर्गत मालिकों द्वारा जीवन बीमा प्रोविडेंड फंड आदि पर किए गए खर्चों को शामिल किया जाता है
- सेवानिवृत्त कर्मचारी को मिलने वाली पेंशन :- यह भी कर्मचारियों के पारिश्रमिक भाग है नियोजको और कर्मचारियों के बीच अनुबन्ध (Contract) के आधार पर दी जाती है
नोट :- यह वर्धावस्था पेंशन नहीं होती है क्योकि यह सेवानिवृत के बाद मिलाने वाली आय है जबकि वर्धावस्था पेंशन एक प्रकार का हस्तांतरण होता है जिसे राष्ट्रिय आय की गणना करते समय शामिल नहीं किया जाता है
प्रचालन अधिशेष :- इसमें सम्पति से प्राप्त आय को शामिल की जाती है इसे निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जाता है
- किराया :- भू स्वामी को भूमि के प्रयोग के बदले में किया जाने वाला भुगतान किराया कहलाता है किराये के अंतर्गत उन सभी दुर्लभ साधनों के मूल्य को शामिल किया जाता है जिनके प्रयोग के बदले में मुद्रा का भुगतान किया जाता है भूमि की उर्वरा शक्ति के कारण जो भुगतान किया जाता है उसे लगान कहते है
- ब्याज:- -ऋणी द्वारा ऋणदाता को मुद्रा के प्रयोग के बदले में किया जाने वाला भुगतान ब्याज कहलाता है
- लाभ :-उधमी को किसी वस्तु के उत्पादन में उठाये जाने वाले जोखिम के बदले में जो प्रतिफल प्राप्त होता है उसे लाभ कहते हे सयुंक्त पूंजी कंपनी के लाभ को अलग-अलग भागो में वर्गीकृत किया जाता है
- लाभांश :- लाभ का वह भाग जो अंशधारियों में बांटा जाता है उसे लाभांश कहते है
- निगम कर :-कंपनी के लाभ पर सरकार द्वारा जो कर लगाए जाते है उन करो लाभ कर कहते है इसे निगम कर के नाम से भी जाना जाता है
- अवतरित लाभ :-कुल भागो में से निगम कर और लाभांश का भाग अलग कर देने के साथ साथ कंपनी के द्वारा कुछ राशि ऐसी रखी जाती हैजिसका वितरण नहीं होता उसे एक कंपनी का अवतरित लाभ कहते है
प्रचालन अधिशेष = किराया + ब्याज + लाभ
मिश्रित आय :-जब कोई उधमी अपने समस्त साधनो की सेवाओं के प्रतिफल को वर्गीकृत नहीं कर पाता तो उसे मिश्रित आय कहते है जैसे छोटे दुकानदार किसान वकील डॉक्टर आदि |
घरेलू आय :- घरेलू आय से अभिप्राय है एक देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों द्वारा मजदूरी, लगान रूप में वर्ष में सर्जित आय का जोड़
राष्ट्रीय आय :- घरेलू आय में विदेशो से प्राप्त शुद्ध कारक आय को जोड़ा जाता है और इस प्रकार आय विधि से राष्ट्रिय आय ज्ञात की जाती है
आय विधि से राष्ट्रिय आय को ज्ञात करने के चरण :-
- उन उद्यमों की पहचान करना जिसमे उत्पादन के साधन अपनी सेवाएं प्रदान करते है
- साधनो को जो प्रतिफल मिलता है उसे (1) कर्मचारियों का पारश्रमिक (2 ) प्रचालन अधिशेष (3 ) मिश्रित आय के रूप में वर्गीकृत किया जाता है